शुक्रवार, 9 मार्च 2012

खनन और खान माफिया

मध्यप्रदेश में खान माफिया ने जो कुछ किया, अत्यंत दुःखद है, किन्तु मैं देश और मीडिया को यह बताना चाहता हूं कि देश में किसी भी राज्य की तुलना में राजस्थान में सबसे ज्यादा 65 प्रकार के मिनरल्स हैं और यहां सभी दलों के बडे राजनेता व बडे अधिकारी माइनिंग के कारोबार में किसी न किसी प्रकार से लिप्त हैं। यहां गैरकानूनी माइनिंग भी है और हजारों कामगार मरते भी हैं, लेकिन उनकी कोई आवाज नहीं है। यहां तो हालत यह है कि वन विकास के नाम पर केन्द्र से करोडों रुपये लेकर अफसरों ने वहां दो ही महीनों में वन विकास भी बता दिया और फिर उसी भूमि को राजस्व भूमि बताकर उसमें माईंसें आवंटित करली। अफसरों और नेताओं ने इन माइंसों से करोडों-अरबों रुपये कमा कर पूरी अरावली श्रृंखला को बर्बाद कर दिया है। मेरे पास कई तथ्य हैं और पिछले 20 साल से लगातार इस पर लिख रहा हूं, लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनें। यहां बहुत दर्दनाक और भयावह परिस्थितियां हैं। आने वाली पीढयां रोएंगी, यदि अब भी किसी ने ध्यान नहीं दिया तो!

पढ़िए-

अकाल....अकाल....अकाल

किसे दोष दिया जाए?

अमानवीय एवं विनाशक नीतियां और खनन?

अति संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र में खनन

अनियंत्रित खनन

अवैज्ञानिक खनन

खनन से जल-स्रोतों का विनाश

खनन से कृषि भूमि का विनाश

खनन से चरागाह का विनाश

खनन से वन विनाश

पहाडों का पूरी तरह सफाया

खनन क्षेत्र का चट्टानी रेगिस्तान में बदलाव

परिणाम- अकाल

इन तथ्यों की सच्चाई राजसमन्द के रूप में आप के सामने है

विकास का यह कौनसा मॉडल है?

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